एक नन्ही कोपल फूटी तो फिर आज बगीचे में आई बहार
अति कोमल व सौम्य,
बाहरी दुनिया देखने को उत्सुक,
हज़ारों ख्वाबों से गोशे गोशे को महकाती,
संसार में अपने अद्भुत रंग बिखेरने को तैयार..
दो फूलों के रास का सार वह कोपल
जीवन की वास्तविकता से अनजान
खिलने की आस में हर पल रहती है बेक़रार.
कभी पवन वेग संग झूलती, मुस्कुराती हुई कई सपने बुनती
तो कभी सूर्य किरणों में नहाती, वह रहती जोश से निहाल,
झूमती उस कोपल की अटखेलियों से फिजा भी रहती खुशगवार..
आज तितलियाँ भवरे सब झूम रहे, उमंगित,
एक नव जीवन में चेतना से खुश मनो मना रहे हों त्यौहार..
फिर एक दिन पतझड़ ऐसा हुआ
की माली का उस नन्ही कोपल पर से विश्वास डगमगाया,
यह क्या खिलेगी? क्या रोशन करेगी मेरे बगीचे का नाम?
इस विचार से उसका मन भरमाया..
अपने सींचे हुए पोंधे से फल की कामना रखने वाले
स्वार्थी माली को नन्हे फूल का खिलना रास नहीं आया,
अपने हाथों से ही मसल दिया नवजात को उसने,
इस चरम तक स्वार्थ ने उसको अँधा बनाया
एक और नव जीवन माली की चमन खिलाने की
संकीर्ण महत्वकांक्षा का शिकार हुआ,
उस दिन फिर बगीचे से एक और गुल आबाद हुए बिना ही बर्बाद हुआ..
उस कोपल को सजा मिली जन्नत के ख्वाब सजाने की,
सत्य से परिचय यूँ हुआ की कज़ा मिली स्त्री पहचान बताने की..
नवजात कोपल की संवेदनाओं के हत्यारे उस माली को कोई समझाये
की गुल से ही ख़ुशी होती है व चमन आबाद,
उजाड़ने वाले क्या जाने की
फूलों की सुगंध से ही आती है हर फिजा में बहार....
very nice yar..........!!
ReplyDeletevery well done !
ReplyDeleteBut i am waiting for your Best dude ..
ReplyDeleteSuperb Creation...
ReplyDeleteEasiest way to relate with a social issues!
ReplyDeleteawesome poetry ....not easy 4 every one to undstnd the pain... jis tarah tumne nanhi kopal or maali ke sath iss serious issue ko samjhaya hai... toooo gud yar... Amazing!!!
ReplyDeleteमुझे बेटियों के लिए आपके द्वारा लिखी यह कविता अच्छी लगी क्योंकि मेरा नाम कोपल कोकास है मेरा भी ब्लॉग है *नन्हीकोपल* नाम से । बेटियां तो नन्ही व प्यारी होती ही है ।
ReplyDeleteमुझे बेटियों के लिए आपके द्वारा लिखी यह कविता अच्छी लगी क्योंकि मेरा नाम कोपल कोकास है मेरा भी ब्लॉग है *नन्हीकोपल* नाम से । बेटियां तो नन्ही व प्यारी होती ही है ।
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