Friday, May 16, 2014

"तरबूजा"

आज इन गर्मियों का पहला तरबूजा काटा,
रसीला, मीठा, सुपड़ा, चाटा, पचाया, ख़त्म किया !!
कोई दुःख नहीं हुआ 
और न कोई टीस महसूस हुई। 

दरअसल मिठास एक सुखद स्वाद है  
क्षणिक! पल छीन में बीत जाता है..
इतनी तेज़ी से कि 
आपको अंदेशा तक नहीं होता,
आप भूल जाते हैं कि स्मृतियाँ भी इन
सुखद घटनाओं के प्रारूप में तैयार होती हैं
दरअसल गुठली होती हैं-
एक मीठे ताज़े खुमानी के गर्भ की वो गुठली
जो फोड़ी तो इस उम्मीद में जाती हैं कि मीठी हो
लेकिन अक्सर उनको चबाते हुए जीभ नीम हो जाती है।

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