मैं कहता हूँ काले में सारे रंग देख ले,
जा तुझे मोक्ष कि प्राप्ति हो...
मात्र रंगों द्वारा छले जाना ही
क्या आदर्श जीवन के संकेत हैं?
हो ऐसा कि तेरे पंख काट के फैंक दिए जाएँ
तेरी ज़ुबान को मोड़ कर उस पर
कसके एक गाँठ बाँधी जाये,
बुद्धि पर जंग लगे ताले फसा दिए जाएँ
और मायूस होने की लत पड़ जाने तक
तुझे सपनों के चलचित्र दिखाए जाएँ।
(चित्रों में सातों रंग व कुछ और मायावी रंगों का अनोखा समावेश हो)
और फिर अकस्मात ही तुझे
अवसाद, पीड़ा, निराशा
जैसे शब्द रटाये जाएँ,
तू तड़पे, घुटे, तपे, बुझे
जा तू जीते जी मरे,
तुझे ज्ञान प्राप्त हो"
बुद्ध का सा भ्रम हो
और तू ईसा के पुनर्जन्म को तरसे।
अतीत कि सभी विफल लकीरें
कोड़ों से पीठ पर गाढ़ दी जाएँ
व जब-जब तू मुक्ति को रोये
तुझे अपराध बोध पिलाया जाए।
तेरे माथे पर शिकन खिंचे,
व तेरे चेहरे के आलोक पर
भयानक नज़र भट्टू पड़े।
तुझ पर सिद्धांतों के सरियों से
नैतिकता की चोट पड़ें,
तेरा आत्म सम्मान हताहत हो,
और स्वाभिमान गिरे पड़े।
जिन चेहरों पर करुणा ढूंढे
तुझ पर थूक-थूक के जाएँ,
तू चूर चूर हो बैठ जहाँ
कव्वे तुझ पर बीट गिराएं।
तेरे धड़ पर दुखों के बरगद
व सर पर कैक्टस उग आये
जड़ों पर तेरी कुत्ते मूतें,
रातों में चमगादड़ मंडराएँ।
मात्र रंगों द्वारा छले जाना ही
क्या आदर्श जीवन के संकेत हैं?
मैं कहता हूँ काले में सारे रंग देख ले,
जा तुझे मोक्ष कि प्राप्ति हो...
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