बादल, बिजली, बरसातों से नजर बचा कर सब ग्रहों से,
तारा तोड़ एक छोटा सा हम जीभ में रख कर लगे चबाने
हवा के रुख के साथ में चल कर हवा बदल कर देख लेंगे..
एक दिन आसमान का चक्कर लगा कर देख लेंगे..
चुपके से फिर दबे पावं से सौर मंडल पर धावा बोलें,
जगह बदल कर सब ग्रहों की, झूम झूम कर लगें चिल्लाने..
चाँद की बालकनी से भी हम पृथ्वी निहार कर देख लेंगे
एक दिन आसमान का चक्कर लगा कर देख लेंगे..
बादल पर लात टिका कर, लगे उछल करतब दिखलाने
किरणों की रस्सी को थामे, पहुँच लगे सूरज से बतियाने
ख्वाबों की नगरी में एक, एक खटिया बिछा कर देख लेंगे
एक दिन आसमान का चक्कर लगा कर देख लेंगे..
निकाल कटोरी झोले से हम, बारिश की कुछ बूंदे भर लें
इन्द्रधनुष में ब्रश डूबा कर, रंगों को कैनवास पर घोलें
ऊपर से दुनिया की हम, एक पेंटिंग बना कर देख लेंगे
एक दिन आसमान का चक्कर लगा कर देख लेंगे..
अपनी धुन में बैठे बैठे कुछ सोचें फिर लगे खोजने,
झट से तोड़े धूप का टुकड़ा अपने जेबों में हम भर लें
अँधेरे की दुनिया में भी, चमक जगा कर देख लेंगे
एक दिन आसमान का चक्कर लगा कर देख लेंगे..
अभी यहीं था वो जो बादल कहाँ खो गया अभी अचानक
थोडा सोच कर, सर खुजा कर आगे बढ़ें हम झोला उठाकर
खोने पाने की सब चित्ना, परे हटा कर देख लेंगे
एक दिन आसमान का चक्कर लगा कर देख लेंगे..
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