Tuesday, September 24, 2013

ब्लॉगर पर अर्ध-शतक

आज अपने ब्लॉग "राइजिंग सन" पर कुछ लिखने का मन कर रहा है। इस ब्लॉग की शुरुवात २०१२ की जनवरी में हुई थी, उससे एक महीने पहले तक मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहा था और लिखने का शौक होते हुए भी उससे कोसों दूर था। पर फिर लिखने के प्रति बढ़ते जूनून ने नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। मानता हूँ की अचानक लिए हुए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं, पर यहाँ ये भी बता देना चाहता हूँ की गलत और सही का मापदंड आपके सफल व विफल होने के प्रतिशत पर निर्भर करता है और हिम्मत करके फैसले लेने वाले चाहे जितनी बार भी विफल हो जाएँ पर जब सफलता उनके हाथ लगती है तो उस फल का स्वाद ही अलग होता है(बहरहाल अभी तक सफल नहीं हुआ हूँ और विफलताओं के कडवे फलों को चख-चख कर एक मीठी सफलता की तलाश में हूँ)। खैर ब्लॉग की शुरुवात करने से अब तक लग-भग दो साल के इस अंतराल में छोटी ही सही लेकिन लेखन को लेकर कुछ खुशियाँ ज़रूर हाथ लगीं उनमे से कुछ साझा कर चुका हूँ और कुछ की उम्मीद अभी भी बरक़रार है। पर इस बीच इस यात्रा में जहाँ मुझे सब कुछ बिना सहूलियत, बिना किसी अनुभव के शुरू करना था, वहां मेरा ये ब्लॉग (जिसका नाम उस दौरान मैंने "राइजिंग सन" सिर्फ इसलिए रखा था की वो मेरे लेखन से जुड़े जीवन की पहली सुबह थी और उस उम्मीदों से भरी सुबह की शुरुवात मैं उगते सूर्य के तेज़ के साथ करना चाहता था) मेरे लिए किसी हमसफ़र से कम नहीं रहा और हमारी इस अटूट दोस्ती के लिए आज का दिन भी किसी पर्व से कम नहीं है। बहुत हर्ष और उल्लास के साथ बताना चाहता हूँ की इस ब्लॉग पर आज ये मेरा पचासवां पोस्ट होगा जो मैं बेहद ख़ुशी से इस ही को समर्पित कर रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ की हमारा ये साथ यूँ ही बना रहेगा और इस पर मेरे लिखे पोस्ट्स की संख्या निरंतर बढती रहेगी।

मेरे हिसाब से जीवन में हर एक नया काम कविता या कहानी लिखने जैसा ही होता है की बस एक कोरा-कागज़ और कलम हाथ होती है और लिखते-लिखते नज्म, अफसाना या कवितायें तैयार होती रहती हैं ठीक वैसे जैसे जीवन में चलते-चलते कई मुकाम आते हैं, और इस ही तर्ज़ पर मंजिलें तैयार होती हैं।
वैसे आज से २० महीने पहले बनाया गया ये ब्लॉग भी मात्र एक खाली डायरी की तरह ही था जिस पर सबसे पहले मैंने अपना परिचय लिखा था।  

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