Saturday, November 9, 2013

"शांति पथ पर"





सावधान!!
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आगे कईओं का 
एक साथ आना मना है।
ये कोई योग साधना हेतु तैयार 
किया गया आश्रम नहीं है,
ना ही नव विवाहित जोड़ों के
रास हेतु तैयार
कोई रूमानी हिल स्टेशन।
यहाँ कोई अध्यात्मिक पाठ
नहीं होता है,
न ही शांति कि खोज
में निकले किसी विरक्त
बैरागी का गंतव्य ही है यह।
यहाँ नहीं नाचते मोर,
नहीं कूकती मैनायें
यहाँ ऐसा कोई प्राकृतिक सौंदर्य
नहीं पनपता
जिसे देख कर मुग्ध हुआ जा सके।
ये कोई देव भूमि भी नहीं है,
जहाँ ३३ करोड़ देवी-देवताओं
में से एक भी बसता हो,
ना ही यहाँ से आजतक किसी को
भी कभी मोक्ष ही प्राप्त हुआ है।

चूँकि यहाँ से स्वर्ग तक पहुँचने का
कोई मार्ग भी नहीं दिखता,
इसलिए फिर से कहता हूँ
सावधान!!

यहाँ कुछ भी अनोखा नहीं होता।
नीरस ढंग से उलजलूल लोगों
द्वारा बसाया गया ये शहर
बेहद काला है,
यहाँ निरंतर सृजन होता है
गहन सृजन!
शोध कार्य सतत जारी।

आँखों में जिज्ञासाओं के रत जगाये,
विषय भोग त्यागे
एक नए मोह के साथ
कुंठित हृदय व विरक्ति भाव
से यात्रा पथ पर बढ़ते चले आ रहे
नए यात्रीओं से अनुरोध है
कृपया अपना वाहन
पलटा लें, सोच को सुलटा लें,
ये किसी नंगे-गंजे पहाड़ की
कोई सूनी पगडण्डी नहीं,
ये पथ केवल शीर्ष तक पहुंचता है,
जिसके उपरांत
सिर्फ शून्य!!
इस पथ पर सभी बुद्ध हो जाते हैं,
सभी हैवान अपने कॉलरों पर चिपके
खून के धब्बों वाली कमीज़
बिना उतारे ही गंगा में उतर जाते हैं।



1 comment:

  1. पथ का यथार्थ उद्घाटित करती सशक्त कविता!

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