Friday, January 10, 2014

"बेरोज़गारी अनलिमिटेड"




हो गयी है "झंड" बहुत, अब ज़िन्दगी बदलनी चाहिए,
न लगे नौकरी सही कोई "लॉटरी" निकलनी चाहिए।

हम तो "टैलेंट" के वहम में रोड पर ही आ गए ,
शर्त लेकिन थी की ये "किस्मत" चमकनी चाहिए।

हर गली में, हर नगर में "चुटकुला" सा बन गए,
चाहते तो ये थे हम पर "फ़िल्म" बनानी चाहिए। 

सिर्फ "हंगामा" खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
कोशिश है की अपनी भी "सुनवाई" होनी चाहिए।

मेरे बस की कुछ नहीं, "खुदा" तेरे बस में ही सही,
जल्द ही लेकिन ये "खज्जलमेंट" मिटनी चाहिए।

विथ मॉडेस्टी
मुकेश चन्द्र पाण्डेय

2 comments:

  1. :)

    Talented and modest you are... definitely...!
    All your dreams will definitely come true...
    Best wishes!

    ReplyDelete
  2. जल्द ही लेकिन ये "खज्जलमेंट" मिटनी चाहिए।
    bahut khub...great!!!

    ReplyDelete