Monday, June 16, 2014

"कहानियों से जुड़े लोग"


कहानियों की दुनिया एक बहुत दिलचस्प दुनिया है। ये उन लोगों के लिए होती है जो क्षणों में जीतें हैं...जिन्हें खुद के अधूरेपन का आभास होता है... और जो कहानियों के रास्ते अपनी पूर्णता खोजने निकल पड़ते हैं... वे किसी कहानी को अधूरा नहीं छोड़ना चाहते। चूँकि उनकी जिज्ञासा जागृत होती है और वे आगत की घटनाओं को घटित होते हुए देखने के लिए उत्सुक होते हैं इसलिए अधूरी कहानियों से उन्हें कोफ़्त होने लगती है... ये वे लोग होते हैं जिन्हें रहस्यों, चमत्कारों पर पूरा भरोसा होता है। जिन्हें अंतरिक्ष आकर्षित करता है व जो देर रात अँधेरे में दूर पहाड़ों पर जुगनुओं के पीछे भागते भागते किसी गहरी खायी में फिसल जाते हैं परन्तु गिरते नहीं बल्कि दूसरी दुनिया में प्रवेश करते हैं। कहानियों से जुड़े लोगों के "पर" होते हैं.....!!

वे कहानी पढ़ते पढ़ते भूल जाते हैं कि दुनिया में भाषा नाम का कोई माध्यम भी है, सच तो यह है कि वह कहानियां उनके साथ घट रही होती हैं.....वे कहानी में किरदार चुनते हैं.. सबसे पसंदीदा किरदार और उसके प्रेम में पड़ जाते हैं..वे हर पंक्ति के बाद एक गहरी सांस भरते हैं और न जाने किस सोच में डूब जाते हैं..!!
शब्द, व्याकरण, उपमाओं की प्रकृति क्रियाशील है परन्तु वे अपने हिस्से का ठहराव जीते हैं...!!

कहानियों से जुड़े लोग इंतज़ार करते हैं... वे सिर्फ एक पल में सदी भर का इंतज़ार जी लेते हैं... उनका हर एक पल उम्मीद से भरा होता है। उनके लिए यात्रा किसी विशेष प्रयोजन योजनाबद्ध तरह से चलना नहीं, कहीं तक पहुंचना नहीं, किसी गंतव्य की अपेक्षा नहीं बल्कि एक मुक्ति है। वे स्व्छन्द विचरना चाहते हैं। निर्लिप्त नहीं परन्तु पूर्णत: लिप्त भी नहीं। वे खुद में एक साथ कई भावों के समूह समेटे रहते हैं। वे ताउम्र सँकरी पहाड़ी पगडंडियों पे चलते हुए खुले चौड़े रास्तों की कल्पना करते हैं। दरअसल वे चलते ही नहीं बल्कि बहे चले जाते हैं। उनकी प्रकृति ग्रहणशील होती है। वे संवेदनाओं में जीते हैं। उनके लिए हवा का चलना मात्र हवा का चलना नहीं है। वे उस पवन वेग को चरम तक महसूस करना चाहते हैं, वह झोंखा उनकी आत्मा को आनंदित करता है। वे मरणोपरांत स्वर्ग की कामना रखने वाले लोग नहीं बल्कि तबले पर उस्ताद ज़ाकिर हुसेन की अपूर्व थापों व राकेश चौरसिया की बांसुरी से झरती मधुर धुनों की जुगलबंदी सुनते हुए इतना प्रभावित हो उठते हैं कि खुद को कल्पना द्वारा निर्मित दैवीय स्वर्ग पर पाते हैं...!!

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